हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद : मध्य प्रदेश सरकार ने वन्यजीवों के हमलों में मृत्यु पर मुआवजा राशि को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के तहत इस नई नीति को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी मिलने की संभावना है। इससे पहले मुआवजा राशि आठ लाख रुपये थी। अब पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये तुरंत और शेष 15 लाख रुपये एफडी के रूप में दी जाएगी।
गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, सरगुजा, रायगढ़ और बालोद जैसे जिलों में स्थिति गंभीर है।
इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में भी मुआवजा बढ़ाने की मांग तेज हो गई है, क्योंकि यहां वन्यजीव हमले में मृत्यु पर अभी केवल छह लाख रुपये दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष और अन्य वन्यजीवों के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, सरगुजा, रायगढ़ , कोरबा ,सूरजपुर और बालोद जैसे जिलों में स्थिति गंभीर है।
पांच साल में 292 मौतें, 11 साल में 595 हताहत
मध्य प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में वन्यजीवों के हमलों में 292 मौतें हुई हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में पिछले 11 वर्षों में 595 मौतों का आंकड़ा सामने आया है। केवल 2021-22 में छत्तीसगढ़ में 95 मौतें दर्ज हुई थीं। इस साल अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है।
मुआवजा राशि पर राज्यों की तुलना
मध्य प्रदेश: 25 लाख रुपये (नया प्रस्ताव)
छत्तीसगढ़: 6 लाख रुपये
महाराष्ट्र: 25 लाख रुपये
उत्तर प्रदेश: 5 लाख रुपये
राजस्थान: 5 लाख रुपये
छत्तीसगढ़ में वर्तमान मुआवजा नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को देखते हुए राज्य सरकार को मुआवजा राशि में सुधार करना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ी हुई मुआवजा राशि से पीड़ित परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी, लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है। सरकार को मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए जंगलों के संरक्षण और वन्यजीवों के विचरण क्षेत्र की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। छत्तीसगढ़ में स्थिति और बिगड़ने से पहले राज्य सरकार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से सबक लेते हुए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।