हिमांशु साँगाणी
रायपुर। “देवेंद्र यादव FIR: कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव पर रायपुर के गंज थाना में एक और केस दर्ज हुआ है…” छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव लगातार सुर्खियों में हैं। पहले बलौदा बाजार हिंसा मामले में जेल गए, अब जेल से बाहर निकलते ही रायपुर के गंज थाने में देवेंद्र यादव के खिलाफ एक और FIR दर्ज हो गई। आरोप—21 फरवरी को रायपुर जेल परिसर के बाहर सड़क पर सभा कर जाम पैदा करना और आम जनता को परेशानी में डालना।

एफआईआर की कॉपी
राजनीति के योद्धा या कानूनी शिकंजे में फंसा नेता?
देवेंद्र यादव के इस नए विवाद ने कांग्रेस के भीतर ही एक नई बहस छेड़ दी है।
क्या वे पार्टी के लिए मजबूती से लड़ने वाले नेता हैं?
या बार-बार विवादों में फंसकर कांग्रेस को मुश्किल में डाल रहे हैं?
कौन-कौन है FIR में शामिल?
इस केस में 13 अन्य कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम भी शामिल हैं—
- देवेंद्र यादव
- सुबोध हरितवाल
- शांतनु झा
- आकाश शर्मा
- शोएब ढेबर
- अतीक मेमन
- फराज
- फरदीन खोखर
- अनवर हुसैन
- शेख वसीम
- नीता लोधी
- बाबी पांडे
- शिबली मेराज खान
कांग्रेस के लिए यह अग्निपरीक्षा?
देवेंद्र यादव की यह आक्रामक रणनीति कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगी या नुकसानदेह?
✅ फायदा: अगर कांग्रेस इसे सरकार की राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताकर भुना पाई, तो यादव को एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में पेश किया जा सकता है।
❌ नुकसान: लेकिन बार-बार विवादों में फंसने से पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है और हाईकमान असहज महसूस कर सकता है।
BJP की रणनीति: ‘अराजक नेता’ बनाम ‘शहीद नेता’
बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक लिया है और देवेंद्र यादव को ‘अराजक’ नेता करार दे रही है। भाजपा इसे कांग्रेस की बिगड़ती स्थिति के संकेत के रूप में देख रही है, जो अब सड़क पर हंगामा और उग्र प्रदर्शन के सहारे राजनीति कर रही है।
देवेंद्र यादव का अगला दांव?
अब सबसे बड़ा सवाल—क्या देवेंद्र यादव इस FIR को अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए हथियार बनाएंगे, या यह मामला उनके करियर के लिए नया संकट साबित होगा?