छत्तीसगढ़: कर्मचारियों के लिए एक मुद्दे पर तीन नियम, वर्गीकरण पर उठे सवाल ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद

सरकार की नीतियों पर कर्मचारी संघ का असंतोष, आंदोलन की ओर इशारा

गरियाबंद छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों के हितों से जुड़े मामलों में वर्गीकरण और भेदभाव के आरोपों ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष करण सिंह अटेरिया ने आमसभा में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कर्मचारियों को महंगाई भत्ते जैसे बुनियादी मुद्दों के लिए आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

वर्गीकरण पर उठे सवाल


श्री अटेरिया ने कहा कि एक ही मुद्दे पर तीन अलग-अलग नियम लागू करना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि कर्मचारियों के मनोबल को भी गिराता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लेखा प्रशिक्षित कर्मचारियों को समय से पहले परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही, जबकि नियम इसके पक्ष में हैं। वहीं, कृषि विभाग में फरवरी 2021 में ग्रामीण कृषि विकास अधिकारियों की पदोन्नति को “कार्य मूल्यांकन रिपोर्ट” (सीआर) की कमी का हवाला देकर रोक दिया गया।

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दैनिक वेतनभोगी और लिपिकों की समस्याएं


दैनिक वेतनभोगी अनियमित कर्मचारियों को श्रम सम्मान की राशि का भुगतान और लिपिकों के वेतन विसंगतियों पर भी चर्चा हुई। श्री अटेरिया ने कहा कि निचले स्तर के संवर्ग में पदोन्नति के समानुपातिक अवसर न होने के कारण कई कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवा निवृत्त हो रहे हैं।

आंदोलन की तैयारी?


संघ के नेताओं ने इस बैठक में सरकार का ध्यान इन समस्याओं की ओर खींचने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया। अटेरिया ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार की जय-जय करने वाले कुछ कर्मचारी नेताओं के कारण पूरी व्यवस्था का खामियाजा ईमानदार कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। संघ ने मंत्रालय और संचालन स्तर पर इन मुद्दों का समाधान कराने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन सवालों का क्या जवाब देती है या कर्मचारी संघ आंदोलन का रास्ता अपनाएगा।

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