रायगढ़ा प्रेमी जोड़ा सजा रिश्तों की रेखा खींच दी प्यार पर ओडिशा में प्रेमी जोड़े को मिली अनोखी बैल की सजा ।

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

रायगढ़ा प्रेमी जोड़ा सजा ओडिशा के रायगढ़ा में बुआ के बेटे से शादी करने पर प्रेमी जोड़े को गांववालों ने दी हैरान कर देने वाली सजा बैल बनाकर खेत में जोता गया। रिश्तों की मर्यादा के नाम पर हुआ अपमान।

गरियाबंद जब प्यार रिश्तों की दहलीज़ पार करता है, तो क्या सज़ा ज़रूरी हो जाती है? ओडिशा के रायगढ़ा जिले के कंजमाझीरा गांव में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां दो लोगों ने अपनी मर्ज़ी से शादी की, मगर उनका रिश्ता समाज के साँचे में फिट नहीं बैठा। युवक, युवती का बुआ का बेटा था । यानि कुछ लोगों की नज़र में यह खून का रिश्ता था, मगर दोनों के दिलों में यह एक जीवनसाथी का रिश्ता बन चुका था।

रायगढ़ा प्रेमी जोड़ा सजा

रायगढ़ा प्रेमी जोड़ा सजा

रायगढ़ा प्रेमी जोड़ा सजा रिश्तों की दीवार लांघते युवा

गांव वालों के लिए यह रिश्ता इतना अस्वीकार्य था कि उन्होंने न केवल प्रेमी जोड़े को बेइज्जत किया, बल्कि बैल की तरह बाँधकर खेत में जोत दिया। ये न सिर्फ मानवता को शर्मसार करता है, बल्कि रिश्तों की पवित्रता का भी मज़ाक बनाता है। कभी जो रिश्ते संबल बनते हैं, वही जब बंधन बना दिए जाएं, तो प्रेम का क्या कसूर?
गांव के लोग मानते हैं कि बुआ के बेटे-बहन के बेटी का रिश्ता पवित्र है, और उसमें विवाह वर्जित। मगर क्या यह फैसला केवल ‘परंपरा’ के नाम पर लिया जा सकता है? क्या दो बालिग लोगों की सहमति पर समाज की मोहर नहीं लग सकती?

घटना का वीडियो हुआ वायरल

पंचायत ने न सिर्फ इन्हें खेतों में जोता, बल्कि गांव के मंदिर में ले जाकर शुद्धिकरण अनुष्ठान कराया गया जैसे कि इनका प्यार कोई अपराध हो। घटना का वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन को होश आया, और पुलिस गांव पहुंची।

https://youtu.be/fik6svOFpnQ?si=FicI6wC3mW6F2pYT

फिलहाल प्रेमी जोड़ा गांव से निकाल दिया गया है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

गांव की यह सोच बता रही है कि प्यार अब भी रिश्तों की बंदिशों में घुट रहा है।
जहां आज की दुनिया में रिश्ते सहमति और समझ से बनते हैं, वहीं कुछ जगहें अब भी खून के रिश्ते और परंपरा के नाम पर दिलों की सजा तय कर रही हैं।

रिश्ते अगर दिल से बने हों तो क्या खून का रिश्ता दीवार बन सकता है?

जब दो लोग मिलकर एक नई जिंदगी शुरू करना चाहते हैं, तो क्या समाज को यह अधिकार है कि वह उन्हें बैल बनाकर खेतों में उतारे?
क्यों हमारे समाज में रिश्तों को इंसानियत से नहीं, सिर्फ परंपरा की चश्मे से देखा जाता ।

यह भी देखे….नक्सलियों का खुलासा एक साल में 357 की मौत, 136 महिला माओवादी भी शामिल नक्सलियों ने मानी सबसे बड़ी हार, दंतेवाड़ा बना कब्रगाह

कृपया शेयर करें

अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!