रक्षाबंधन स्पेशल छत्तीसगढ़ के इस जिले की तीन बहनें इस रक्षाबंधन पर भी अपने लापता जवान भाई मनमोहन सिंह का इंतज़ार कर रही हैं। बीजापुर से जनवरी में ग़ायब जवान का अब तक कोई सुराग नहीं।
गरियाबंद छत्तीसगढ़ दरवाज़े की कुंडी पर टिकती नज़रें, थाली में सजी रंग-बिरंगी राखियां, और कोने में रखा मिठाई का untouched डिब्बा सूरजपुर के चंदन नगर गांव में आज रक्षाबंधन की सुबह यूं ही बीत रही है। यहां तीन बहनें हर आहट पर चौखट तक दौड़ जाती हैं, शायद उनका भाई मनमोहन सिंह लौट आया हो।

रक्षाबंधन स्पेशल
रक्षाबंधन स्पेशल जनवरी से लापता अब तक नहीं चला पता
मनमोहन, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल का जवान, जनवरी 2025 से लापता है। वह बीजापुर के नक्सल प्रभावित तारुण कैंप में तैनात था। एक दिन अचानक वह रहस्यमयी तरीके से ग़ायब हो गया। अपहरण, नक्सली हमला या अंदरूनी साजिश अंदेशे कई हैं, पर आठ महीने बाद भी कोई सुराग नहीं।
राखी पर वह जरूर आता था…
बड़ी बहन की आंखें नम होकर कहती हैं
वह चाहे कहीं भी पोस्टिंग पर हो, राखी पर ज़रूर आता था। इस बार भी भरोसा था कि दरवाज़े पर खड़ा मिलेगा।
थाली में रखी राखियां जैसे भाई की कलाई का इंतज़ार कर रही हैं, लेकिन सूरज ढलने के साथ उम्मीद की डोर भी कमजोर पड़ रही है।
थक चुका है परिवार, ठहरी हुई है जांच
मनमोहन के परिजन सूरजपुर के एसपी से लेकर रायपुर के डीजीपी कार्यालय तक, गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं। ज्ञापन दिए, मुलाकातें कीं, लेकिन न जांच की रफ्तार तेज हुई, न फाइलों से धूल हटी।
सवाल सिर्फ एक घर का नहीं…
यह सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि उन हजारों जवानों के परिवारों का सवाल है जो नक्सल इलाकों में जान हथेली पर रखकर ड्यूटी निभा रहे हैं।
क्या बीजापुर जैसे संवेदनशील इलाके में एक जवान ऐसे ही लापता हो सकता है?
जिम्मेदारी किसकी है?
कब मिलेगा जवाब?
रक्षाबंधन की सबसे बड़ी दुआ
आज देशभर में राखी के गीत गूंज रहे हैं, मिठाइयां बंट रही हैं, लेकिन चंदन नगर में सिर्फ सन्नाटा है। तीन बहनों की एक ही दुआ है —
भाई घर लौट आए, यही हमारे लिए इस राखी का सबसे बड़ा तोहफा होगा।
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