सड़क हादसे ने बदला जिंदगी का रास्ता: बसंत साहू बने ‘जादुई पेंसिल’ के जरिए देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का गौरव ।

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By Himanshu Sangani

आदित्य शुक्ला / धमतरी

धमतरी (छत्तीसगढ़) – 29 साल पहले एक सड़क हादसे ने बसंत साहू की जिंदगी को ऐसा मोड़ दिया, जिसने उन्हें मौत का इंतजार करने वाले शख्स से 16,000 से अधिक पेंटिंग बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय कलाकार में बदल दिया। कुरूद के रहने वाले 51 वर्षीय बसंत साहू को हाल ही में दिल्ली की एनसीपीईडीपी संस्था ने हेलेन केलर अवार्ड 2024 से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा और उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।

पेंसिल से शुरू हुआ एक नया सफर


1995 में एक सड़क दुर्घटना ने बसंत साहू का 90% शरीर निष्क्रिय कर दिया। वह बिस्तर पर पड़े-पड़े दीवारों पर टंगे चित्रों को देखा करते थे, जिससे उनमें चित्रकारी का शौक जागा। अपनी पहली पेंसिल को हाथ की पट्टी में बांधकर उन्होंने महात्मा गांधी का स्केच बनाया और तब से 16,000 से अधिक पेंटिंग बना चुके हैं। उनके चित्र आज राष्ट्रपति भवन, दिल्ली संग्रहालय, और कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी स्थलों की शोभा बढ़ा रहे हैं।

जन्मदिन पर मिला सम्मान


गौरतलब है कि जिस दिन उन्हें हेलेन केलर अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया, वह उनका जन्मदिन भी था। यह सम्मान बसंत साहू के लिए एक खास तोहफा बन गया। दिल्ली से आए एनसीपीईडीपी के डायरेक्टर सुमित परीक्षित ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा, “बसंत साहू जैसे कलाकार हमारी प्रेरणा हैं। उनकी कहानी दिव्यांगजनों के लिए एक मिसाल है।”

छत्तीसगढ़ की कला को दी नई पहचान


बसंत साहू के चित्रों में छत्तीसगढ़ की लोक परंपराएं, नृत्य, और समकालीन सामाजिक मुद्दे जीवंत रूप से उकेरे गए हैं। वह कुरूद क्षेत्र के बच्चों को भी पेंटिंग सिखाकर उनकी प्रतिभा निखार रहे हैं। उनकी कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और कला की शक्ति का एक ऐसा उदाहरण है, जो हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई है।

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