हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद छत्तीसगढ़ के मैनपुर ब्लॉक के जाड़ापदर गांव में एक अनोखी स्थिति बन गई है। आमतौर पर विवादों में ग्रामीणों का बहिष्कार सुनने को मिलता है, लेकिन इस बार ग्रामीणों ने खुद अपने सरपंच हरचंद ध्रुव (बैगा) और उनके ही परिवार के उप सरपंच का ‘हुक्का-पानी’ बंद कर दिया है। विवाद की जड़ एक राइस मिल के निर्माण के लिए सरपंच द्वारा दी गई अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) है, जिसने पूरे गांव को दो पक्षों में बांट दिया है।
शिकायत करने थाने पहुंचा सरपंच परिवार ।
सरपंच बोले नियमानुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया हैं।
सरपंच हरचंद ध्रुव का कहना है कि उक्त जमीन की 2005 से 2023 तक दो बार खरीद-बिक्री हो चुकी है, तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने बताया, “मैंने कानूनी रूप से सही प्रक्रिया का पालन करते हुए NOC दिया, लेकिन अब मुझ पर गलत तरीके से आरोप लगाया जा रहा है।” उनका तर्क है कि राइस मिल से गांव में रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर बढ़ सकते हैं।
ग्रामीण बोले राइस मिल खुलने से गांव में प्रदूषण फैलेगा ।
दूसरी ओर, ग्रामीणों का मानना है कि यह भूमि उनके लिए सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं है, बल्कि उनके देव स्थल और सामुदायिक संरचनाओं का हिस्सा है। उनका कहना है कि राइस मिल से तालाब की सफाई और बच्चों के स्कूल की स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। “हम खेती या गोदाम के लिए तैयार हैं, लेकिन राइस मिल के लिए नहीं,” ग्रामीणों ने साफ कहा।
मामला अब प्रशासन के पाले में जल्द करेंगे समाधान ।
मामला अब गरियाबंद कलेक्टर और एसपी के पास पहुंच चुका है, जहां सरपंच ने न्याय की मांग की है और चेतावनी दी है कि कार्रवाई न होने पर वे परिवार सहित पैदल मार्च करेंगे। मैनपुर थाना प्रभारी शिव शंकर हुर्रा ने बताया कि दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास जारी है और उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।