हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद
बीजापुर के पत्रकार स्व. मुकेश चंद्रकार की हत्या के बाद राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर अपने चरम पर है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां उन्हें अपना ‘शुभचिंतक’ बताने में जुटी हैं, लेकिन उनके परिजनों की मदद को लेकर एक भी ठोस घोषणा नहीं की गई।
बहिष्कार, वायरल फोटो और राजनीतिक तमाशा
कांग्रेस का एक लैटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मुकेश चंद्रकार समेत तीन अन्य पत्रकारों का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया था। इस पर पहले तो चुप्पी साधी गई, फिर बैकफुट पर आने के बाद राजनीतिक सफाई दी गई।

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और हत्या के आरोपी सुरेश चंद्रकार की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा। लेकिन मजे की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, लेकिन किसी भी पार्टी को पत्रकार के परिवार की चिंता नहीं।
नेताओं की राजनीति और परिवार की अनदेखी
अब तक न तो किसी पार्टी ने आर्थिक सहायता की घोषणा की और न ही पीड़ित परिवार के लिए कोई ठोस कदम उठाया। सोशल मीडिया पर बयानबाजी चल रही है, टीवी पर बहस हो रही है, लेकिन परिवार की मदद के लिए एक भी नीतिगत कदम नहीं उठाया गया।
“शोक से ज्यादा शो का माहौल”
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दुखद पहलू यह है कि पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या एक संवेदनशील मुद्दा होने के बजाय राजनीतिक हथियार बन चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, मगर उनके परिवार के लिए संवेदनशीलता कहीं नजर नहीं आ रही।
“राजनीति का खेल जारी है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं कि मुकेश चंद्रकार के परिवार की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा?”