“सर्वर डाउन या प्रशासन फेल? धमतरी में 300 प्रमाण पत्र अटके!”

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By Himanshu Sangani

आदित्य शुक्ला / धमतरी

धमतरी, छत्तीसगढ़: डिजिटल इंडिया के तहत हर सेवा को ऑनलाइन करने का सपना दिखाया गया था, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। धमतरी जिले में पिछले 8 महीने से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया ठप पड़ी है। कारण – सर्वर डाउन। यह न सिर्फ तकनीकी खामी को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन की तैयारी और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है।

ऑनलाइन प्रक्रिया: वरदान या अभिशाप?

प्रशासनिक प्रक्रियाओं को डिजिटल करने का उद्देश्य जनता की सहूलियत था, लेकिन धमतरी में यह एक सिरदर्द बन गया है। सरकारी जिला अस्पताल में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के 300 से ज्यादा आवेदन लंबित हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने गुस्से में कहा, “ऑनलाइन प्रक्रिया से फायदा नहीं, बल्कि परेशानी बढ़ी है। अगर सर्वर काम नहीं कर रहा, तो इसे ऑफलाइन क्यों नहीं किया जाता? क्या सरकार को लोगों की जरूरतें दिखाई नहीं देतीं?”

जनता को झेलनी पड़ रही है कीमत,प्रशासन का रवैया: सवालों के घेरे में

जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना कई सरकारी योजनाओं का लाभ रुक गया है। बीमा क्लेम, पेंशन, और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं भी प्रभावित हो रही हैं। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, वे महीनों से इस परेशानी का सामना कर रहे हैं।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों और सिविल सर्जन डॉ. राजेश सूर्यवंशी का कहना है कि “सर्वर सही हुआ, तो एक हफ्ते में सभी प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएंगे।” सवाल यह है कि यह समस्या 8 महीने से क्यों सुलझाई नहीं गई?

राजनीति गर्माई, जनता परेशान

इस मुद्दे पर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आकाश गोलछा ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाएं और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों चरमरा गई हैं। सर्वर की समस्या के नाम पर लोगों को हर दिन परेशान किया जा रहा है।” वहीं, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राजेश सूर्यवंशी का कहना है कि “सर्वर सही रहा तो एक सप्ताह में सभी पेंडिंग प्रमाण पत्र तैयार कर दिए जाएंगे।” कलेक्टर नम्रता गांधी ने स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि “जैसे ही सर्वर की समस्या ठीक होती है, ज्यादा डाटा एंट्री ऑपरेटर लगाकर कार्य जल्द पूर्ण किया जाएगा।”

क्या डिजिटल सिस्टम पर अंधा भरोसा सही है?

यह समस्या प्रशासन के डिजिटल सिस्टम पर पूरी तरह निर्भर होने की कमजोरी को उजागर करती है। हर बार तकनीकी समस्या का हवाला देकर जनता को परेशानी में डालना क्या सही है? अगर सर्वर खराब है, तो क्या ऑफलाइन प्रक्रिया को लागू करना असंभव था?

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