आज से 20 हजार प्लेसमेंट कर्मियों की हड़ताल, राज्यभर की बुनियादी सेवाएं होंगी ठप ?

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद

गरियाबंद छत्तीसगढ़ के 184 नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 20 हजार प्लेसमेंट कर्मचारी आज से अपनी लंबित मांगों के चलते अनिश्चितकालानी हड़ताल पर है । कर्मचारियों के इस कदम से नगर सहित राज्यभर के शहरों में सफाई, कार्यालयीन कार्य के अलावा घर घर से कचरा उठाने वाले कार्य और अन्य सरकारी योजनाओं का कामकाज पूरी तरह ठप रहेगा । अगर सरकार कमर्चारियों की मांगों को लेकर गंभीरता नही दिखती है तो आने वाले दिनों इस हड़ताल का खामियाजा आमजनों के लिए मुसीबत बन सकता है । संघ का आरोप है कि सरकार सीधे वेतन व्यवस्था से इसलिए डर रही कि कर्मचारी आगे चल रेग्युलर करने की मांग कर सकते है । इसी डर की वजह से सरकार हर साल करोड़ो रूपये आऊटसोर्सिंग पर पानी की तरह बहा रही है।

क्या है मांगें?


गरियाबंद जिला अध्यक्ष दीपक वर्मा ने बताया कि पिछले 15-20 वर्षों से वे ठेका और आउटसोर्सिंग व्यवस्था में कार्यरत हैं। महासंघ की प्रमुख मांग है कि अन्य विभागों (PWD, PHE, वन विभाग आदि) की तरह उन्हें भी सीधे निकायों से वेतन का भुगतान किया जाए। महा संघ ने आरोप लगाया कि बार-बार ज्ञापन और धरना प्रदर्शन के बावजूद सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही। इसी वजह से आज से जिलेभर में लगभग 4 सौ प्लेसमेंट कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे । हालांकि बिजली और जल की आपूर्ति जारी रहेगी लेकिन अन्य सेवाओं का संचालन पूरी तरह से ठप रहेगा ।

हड़ताल का असर:


महासंघ ने भी स्पष्ट किया है कि हड़ताल के दौरान सभी मूलभूत सेवाएं जैसे सफाई लोक सेवा और सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ठप रहेगा। कार्यालयीन कार्य भी पूरी तरह से बंद रहेंगे । इसके अलावा संघ के द्वारा निर्णय लिया गया है कि अगर उनकी मांगे नही मानी गई तो आगामी नगरीय निकाय चुनाव का बहिष्कार करेंगे है।

सरकार को क्या होगा फायदा,महासंघ की क्या है आगे की रणनीति ?


महासंघ का दावा है कि उनकी मांगें पूरी करने से सरकार को आर्थिक लाभ होगा। ठेकेदार एजेंसी को दिए जाने वाले करोड़ों रुपये और जीएसटी की बचत होगी। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, और श्रमिकों को समय पर वेतन मिलने के साथ उनकी कार्यकुशलता में भी वृद्धि होगी। महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो हड़ताल अनिश्चितकालीन रहेगी। इससे निकायों के कार्य ठप हो जाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या समाधान निकालती है।

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