हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 1 नवंबर को प्रदेशभर में अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने चौक-चौराहों पर दीप जलाकर, रंगोली सजाकर, मेहंदी लगाकर और सोशल मीडिया पर संदेशों के जरिए सरकार से पूर्व सेवा गणना की मांग उठाई। इस अनूठे अभियान में ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और व्हाट्सएप पर “एक दीप पूर्व सेवा गणना के नाम” ट्रेंड करने लगा, जिससे शासन का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचने की कोशिश की गई।
एलबी संवर्ग के शिक्षक अपनी नियुक्ति की पहली तिथि से पहले की सेवाओं को मान्यता दिलाने की मांग कर रहे हैं, जो संविलियन के बाद से अनदेखी हो रही है। इस अनदेखी का परिणाम यह है कि कई शिक्षकों की सेवा शून्य मानकर वेतन, पेंशन और क्रमोन्नति जैसे महत्वपूर्ण लाभ रोके गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि अगर उनकी सेवा की गणना प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से की जाए, तो न केवल वेतन विसंगतियां दूर होंगी, बल्कि पेंशन का लाभ भी समय पर मिल सकेगा और सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली सुविधाओं में सुधार होगा।
इस प्रदर्शन में शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक संजय शर्मा और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हुए। उन्होंने विभिन्न संभागों जैसे बस्तर, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा से शिक्षकों के साथ मिलकर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शन को प्रदेश के 33 जिलों से जोरदार समर्थन मिला, जिसमें शिक्षकों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज शासन तक पहुंचाई। शिक्षक संघ का कहना है कि शांतिपूर्ण और रचनात्मक प्रदर्शन के इस तरीके से सरकार को एक स्पष्ट संदेश देना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक वे अपने संघर्ष को जारी रखेंगे।
अब यह देखना होगा कि यह अनोखा और सकारात्मक कदम क्या सरकार का ध्यान आकर्षित कर पाएगा और शिक्षकों की वर्षों की सेवाओं को गणना में शामिल कर उनकी समस्याओं का समाधान होगा या नहीं।