हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में शिक्षा विभाग की साइकिल नीति गरियाबंद मैनपुर के हायर सेकंडरी स्कूल में छात्राओं के लिए आई साइकिलें खुले आसमान तले बरसात में खराब हो रही हैं। जानिए कैसे शिक्षा विभाग की लापरवाही सपनों की सवारी पर जंग चढ़ा रही है।
गरियाबंद मैनपुर के हायर सेकंडरी स्कूल का मैदान इस समय साइकिल कब्रिस्तान बन चुका है। शिक्षा विभाग की लाख घोषणाओं और योजनाओं के बीच छात्राओं को दिए जाने वाले सपनों की सवारी साइकिल खुले आसमान के नीचे खड़ी-खड़ी अब जंग-भंग में तब्दील होने की तैयारी कर रही है।

गरियाबंद में शिक्षा विभाग की साइकिल नीति बारिश में खराब हो रही है ।
बारिश की मार और विभाग की ढिलाईस्कूल मैदान में कीचड़ और गंदगी के बीच खड़ी ये साइकिलें मानो यही कह रही हों पहले हमें गुमसुम छोड़ो, फिर हमें जंग लगा देखकर दो मिनट का अफसोस जताओ।

जिस सायकल के भरोसे बच्चों को स्कूल जाना है वही बेकार हो रही
बरसात की बूँदें बच्चों तक पहुंचने से पहले साइकिल को सड़ा डाल रही हैं और जिम्मेदार विभाग अपनी नींद पूरी कर रहा है।छात्राओं के सपनों पर जंगसरकार का दावा है कि साइकिल मिलने से बच्चियों की पढ़ाई आसान होगी, लेकिन यहाँ तो साइकिल खुद अपनी पढ़ाई जलेबी के छल्लों की तरह मैदान में सीख रही है।
छात्रों के हाथों में पहुंचने तक सायकल हो जाएगी कबाड़
जब तक छात्राओं तक ये पहुंचेंगी, तब तक ये खड़खड़ाती लोहे की घोड़ी बन चुकी होंगी शिक्षा विभाग का ये नया प्रयोग क्या जंगरोधी शिक्षा नीति कहलाएगा?क्या बच्चियां इन साइकिलों की कीमत देखकर लोहे का कबाड़ बेचने की ट्रेनिंग लेंगी?या फिर विभाग इंतज़ार कर रहा है कि पहले साइकिल पानी में तैरना सीखे, फिर बच्चियां उस पर स्कूल जाएं?
जनता की आवाज़ छात्रों के परिजन अब सवाल पूछ रहे हैं कि शिक्षा विभाग छात्राओं को सुविधा दे रहा है या बरसाती साइकिल शो आयोजित कर रहा है।
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