गरियाबंद की ‘खूनी सड़क’: जहां हर सफर मौत के साए में कटता है, अब बदलाव की ओर बढ़ रहे कदम ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद

गरियाबंद, छत्तीसगढ़: देवभोग-गोहरापदर मार्ग… एक ऐसा नाम जो अब डर और अनहोनी का प्रतीक बन गया है। बीते 11 महीनों में इस सड़क ने 18 जिंदगियों को निगल लिया है। कुल 31 दुर्घटनाओं ने इसे स्थानीय लोगों के बीच ‘खूनी सड़क’ का खिताब दे दिया है। हर गुजरने वाला यात्री इस मार्ग पर अपनी किस्मत लेकर चलता है। मगर अब हालात बदलने की उम्मीद जगी है।

खूनी सड़क का इतिहास और बदलते हालात

नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य इस क्षेत्र में वर्षों से जारी है, लेकिन सड़क पर सुरक्षा के मानकों की कमी यहां मौत का खेल बन चुकी है। हर गुजरता वाहन मानो दुर्घटना के जाल में फंसने को तैयार रहता है।लेकिन शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक ने इस सड़क को सुरक्षित बनाने की दिशा में नई उम्मीदें जगाई। देवभोग पुलिस थाने में आयोजित इस बैठक में तहसीलदार चितेश देवांगन, थाना प्रभारी गौतम गावड़े, स्थानीय जनप्रतिनिधि, व्यापारी और वरिष्ठ नागरिक शामिल हुए। यहां जो फैसले लिए गए, वे इस सड़क की बदनाम छवि बदल सकते हैं।

अब और अधिक न हो मौत की सवारी, इसलिए उठाए जा रहे ये कदम

  1. स्पीड ब्रेकर: सड़क पर बेलगाम रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर लगाए जाएंगे।
  2. सीसीटीवी कैमरे: दुर्घटनाओं की निगरानी और अपराधियों पर नजर रखने के लिए हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जाएगी।
  3. जागरूकता अभियान: सड़क सुरक्षा को लेकर पूरे क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने कहा, “इस सड़क पर हादसे रोकना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए प्रशासन, व्यापारी और स्थानीय नागरिक मिलकर हरसंभव कदम उठाएंगे।”

क्या इस बार बदलेगी तस्वीर?

स्थानीय लोग इस पहल से उत्साहित तो हैं, लेकिन उनके मन में सवाल भी हैं। क्या ये उपाय केवल कागजों तक सीमित रहेंगे, या वास्तव में यह खूनी सड़क सुरक्षित बन सकेगी? जो भी हो, देवभोग की इस खूनी सड़क पर बदलाव की ये पहली किरण उम्मीद जगाती है। अब देखना यह है कि प्रशासन और नागरिकों की ये कोशिशें कितनी असरदार साबित होती हैं। क्या यह बदनाम सड़क सुरक्षित सफर की कहानी लिख पाएगी?

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