हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद। एक साधारण गृहिणी से लेकर जनपद पंचायत अध्यक्ष और अब जिला पंचायत चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनने तक, लालिमा ठाकुर का सफर नारी सशक्तिकरण की मिसाल है। पहले ग्राम पंचायत पथरमोहदा की निर्विरोध सरपंच बनकर उन्होंने एक पूरी तरह महिला नेतृत्व वाली पंचायत का संचालन किया और अब वे जिला पंचायत के बड़े मंच पर विकास की नई इबारत लिखने के लिए तैयार हैं।

दिल्ली में भी छाप छोड़ आईं लालिमा
हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग के ‘पंचायत से पार्लियामेंट 2.0′ कार्यक्रम में शामिल होकर लालिमा ठाकुर ने न केवल संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का दौरा किया, बल्कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर लोकतंत्र की जड़ों को करीब से समझा। दिल्ली में उनकी नेतृत्व क्षमता की सराहना हुई, जिससे यह साफ हो गया कि वे सिर्फ अपने क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रही हैं।
महिलाओं की ताकत को बनाएंगी अपनी शक्ति
लालिमा ठाकुर का कहना है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए मैं पूरी तरह समर्पित हूं। मेरा लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, बच्चों की शिक्षा को मजबूत करना और गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारना है।”
भाजपा का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ से आगे बढ़ता एजेंडा
भाजपा द्वारा लालिमा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने का सीधा संकेत है कि पार्टी अब महिलाओं को सिर्फ ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि उन्हें सशक्त नेतृत्व की मुख्यधारा में ला रही है। महिला सशक्तिकरण और गांव के विकास की सोच को भाजपा अब ज़मीनी स्तर पर लागू करने की रणनीति अपना रही है, जिसमें लालिमा ठाकुर जैसी नेत्रियों की भूमिका अहम होगी।
चुनाव में जनता का फैसला करेगा भविष्य
लालिमा ठाकुर का अब तक का सफर बताता है कि वे सिर्फ राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि बदलाव की प्रतीक हैं। अब देखना होगा कि गरियाबंद की जनता उनके नेतृत्व पर कितना भरोसा जताती है और क्या वे महिला सशक्तिकरण की इस लड़ाई को जिला पंचायत तक पहुंचाने में सफल होंगी?