हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद | चुनावी मौसम आते ही नेता जी की ‘विकास गाड़ी’ फुल स्पीड पकड़ लेती है, लेकिन लोहरसी की सड़क पर आते ही इसका इंजन हर बार ठप हो जाता है। 25 साल से इस गांव के लोग सड़क के नाम पर सिर्फ वादों के धक्के खा रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने ‘राजनीतिक गड्ढों’ को पाटने का फैसला कर लिया है—सड़क नहीं, तो वोट नहीं!

जब नेता जी के लिए ‘हवाई मार्ग’ और जनता के लिए दलदल!
लोहरसी के ग्रामीणों की मांग बहुत मामूली है—बस एक सड़क, जिससे स्कूली बच्चे, किसान और गर्भवती महिलाएं बिना धंसे अस्पताल पहुंच सकें। लेकिन नेता जी के लिए शायद यह कोई बड़ी समस्या नहीं, क्योंकि उनका ‘यात्रा मार्ग’ हवाई जहाज से तय होता है। उधर, जनता को हर बारिश में ‘कीचड़ रथ यात्रा’ करनी पड़ती है!
चुनाव आते ही ‘विकास की खुदाई’, फिर वही दुहाई!
गांव वालों को ये ‘चुनावी स्क्रिप्ट’ रट चुकी है—चुनाव से पहले वादों की खुदाई, और चुनाव के बाद ‘फंड नहीं है’ की दुहाई! ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सड़क बार-बार बजट की फाइलों में खो जाती है, और स्थानीय जनप्रतिनिधि इसे मुद्दा बनाकर वोट बटोरते रहते हैं।
इस बार जनता ने नेता जी की ‘सड़क पर परीक्षा’ तय कर दी!
लोहरसी के लोगों ने इस बार अलग तैयारी कर ली है। वो चाहते हैं कि नेता जी पहले इस दलदली सड़क पर चलकर दिखाएं, तभी वोट पर चर्चा होगी! अब देखना यह है कि नेता जी इस ‘कीचड़ टेस्ट’ को पास कर पाते हैं या फिर अगले चुनाव तक ‘विकास का खाका’ बनाकर चलते बनते हैं!
अब जनता का फैसला साफ है—पहले सड़क, फिर वोट!