हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद। जहां एक ओर कांग्रेस का जनाधार मजबूत करने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर गरियाबंद का कांग्रेस भवन अपने हालात पर रो रहा है। हालात ऐसे कि मरम्मत के लिए भी अब नेताओं की जेब का मुंह ताकना पड़ रहा है। हाल ही में एआईसीसी सचिव और सह प्रभारी एस.ए. सम्पत कुमार के गरियाबंद आगमन पर उनका जोरदार स्वागत हुआ, लेकिन स्वागत के जोश से कहीं ज्यादा चर्चा उनकी दरियादिली की हो रही है।
कांग्रेस भवन की जर्जर हालत को देखते हुए सम्पत कुमार ने अपने पास से 10,000 रुपये देने की घोषणा कर डाली। जैसे पार्टी के भवन की हालत, वैसे ही शायद पार्टी का खज़ाना! इस पर बिन्द्रानवागढ़ विधायक जनक ध्रुव ने भी कदम बढ़ाते हुए बिजली बिल चुकाने का वादा कर दिया। अब सवाल उठता है कि क्या यह दरियादिली सिर्फ भवन तक सीमित रहेगी या फिर चुनावों के बाद भी कार्यकर्ताओं के लिए इसी तरह के वादे होते रहेंगे?
क्या कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने से चुनाव जीतेंगे?
सम्पत कुमार ने सभा में कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में जीत का रास्ता दिखाने की कोशिश की, जैसे यह जीत विधानसभा चुनाव की कुंजी हो। साथ ही, उन्होंने पार्टी के भीतर एकता पर जोर दिया, मानो सब एकजुट हो जाएं तो चुनाव जीतना बाएं हाथ का खेल हो जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि सिर्फ नेताओं की घोषणा से क्या कांग्रेस का खंडहर हो रहा संगठन फिर से खड़ा हो पाएगा?
वादों की सियासत, जमीन पर सवाल
सभा में कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया, लेकिन क्या पार्टी की जमीन पर हालत सुधारने के लिए सिर्फ 10,000 रुपये और बिजली बिल माफ करना काफी होगा? सवाल बड़ा है, जवाब शायद चुनाव के नतीजे ही देंगे।