गरियाबंद में गुटबाजी की रामनवमी: शोभायात्रा का खत्म होता भव्य स्वरूप अब इसमें राम कम, “मैं” ज्यादा दिखता है!

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

गरियाबंद में रामनवमी की शोभायात्रा अब आस्था नहीं, गुटबाज़ी का अखाड़ा बनती जा रही है। आयोजन की तारीख बदलने से लेकर मंच हटवाने तक, हर कदम पर राजनीति हावी। जानिए क्यों अब राम की शोभायात्रा में राम कम, “मैं” ज़्यादा दिखता है।

एक ज़माना था जब गरियाबंद की रामनवमी शोभायात्रा में पांव रखने की जगह नहीं होती थी। आज हाल ये है कि शोभायात्रा का भव्य स्वरूप बिखरता जा रहा है । और भीड़ सिमटती जा रही है । हालांकि तिरंगा चौक पहुंचने पर कुछ देर के लिए भीड़ जरूर दिखाई दी । मगर आगे जाकर फिर सिकुड़ने लगी ।

स्थानीय लोगों को तव्वजों न देकर बाहरी लोग का हस्तक्षेप बढ़ना भी इस गुटबाजी का एक बड़ा कारण है ।जिसके चलते स्वरूप खत्म होते जा रहा है । यह हम नहीं इस बार शामिल होने वालों के आंकड़े गवाही दे रहे रहे है इस साल की शोभायात्रा में राम तो आए, लेकिन भीड़ नहीं आई। वजह? गुटबाज़ी। हां, वही गुटबाज़ी जो हमारी राजनीति से लेकर मोहल्ले की क्रिकेट टीम तक हर जगह घुस चुकी है, अब रामनवमी में भी अपनी गद्दी जमा चुकी है।

साल भर इंतजार होता था इस एक दिन का जो गुटबाजी की भेंट चढ़ने लगा है

किसी ज़माने में ये यात्रा नगर की ‘आन-बान-शान’ मानी जाती थी। अब ये यात्रा बन गई है । किसका मंच हटवाया किसने , सूत्रों के मुताबिक, इस बार एक गुट ने दूसरे गुट के मंच की शिकायत एन शोभायात्रा निकलने के पहले करवा दी और प्रशासन ने मंच हटवा भी दिया। बड़ा सवाल ये है – जब मंच एक दिन पहले से ही लग रहा था, तब प्रशासन ध्यान क्यों नहीं दे पाया । सवाल यह भी है क्या नगर वासियों ने शोभायात्रा के लिए चंदा इसी तरह व्यर्थ करने के लिए दिया था

शोभायात्रा के आयोजन दिवस को लेकर उठते सवाल ?

अब इसमें सबसे बड़ी शिकायत यह भी जुड़ गई है सूत्र बताते है कि रामनवमी की शोभायात्रा उसी दिन न निकाल कर अगले दिन निकाली जाती है। कारण? बताया जा रहा है कि रामनवमी के दिन धूमाल और साजो-सामान का किराया महंगा होता है, और अगले दिन खर्चा थोड़ा ‘राम-भरोसे’ हो जाता है। लेकिन सवाल उठता है – जब नगरवासी दिल खोलकर चंदा दे रहे हैं, तो फिर खर्च की इतनी “चिंता” क्यों? क्या आस्था अब “ऑफ सीजन रेट” देख कर तय होगी? कुछ व्यापारियों का ये भी कहना है कि रामनवमी के दिन शीतला मंदिर का जवारा विसर्जन होता है, जिससे भीड़ कम हो जाती है। लेकिन क्या रामनवमी पर ही राम की शोभायात्रा निकालना अब असुविधाजनक हो गया है? फिर तो अगले साल हो सकता है शोभायात्रा “वीकेंड” देखकर निकाली जाए!

चंदा वसूली ने नाम पर गुंडा गर्दी करने वाले कार्यक्रम की कर रहे अगुवाई

राम नवमी की शोभायात्रा कार्यक्रम का संचालन ऐसे लोग कर रहे हैं जिनके नाम की FIR दुर्गा चंदा वसूली के नाम पर थाने तक में दर्ज हैं। ऐसे लोग शोभायात्रा का स्वरूप बिगाड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे है । इन लोगों के लिए रामनवमी अब आस्था नहीं, अवसर बन चुकी है – वर्चस्व दिखाने का, मंच सजाने का, और दूसरे को नीचा दिखाने का।

भव्यता बचाए रखना है तो नगर के व्यापारी और वरिष्ठजनों को संभलना होगा मोर्चा

नगर के व्यापारी वर्ग और वरिष्ठ नागरिक को इस साल की गुटबाजी को देखते हुए रामनवमी का राजनीतिक कारण बंद कर इसके पुराने मूर्त स्वरूप में ले जाने की जिम्मेदारी उठाना होगा । ताकि भगवान श्री राम की शोभायात्रा का भव्य स्वरूप जिसका इंतजार नगर का हर नागरिक करता है बना रहे नहीं तो वह दिन भी दूर नहीं जब लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर बुलाना पड़ेगा और कहना पड़ेगा “भाई साहब! राम जी की सवारी आ रही है, दो मिनट वक्त निकाल लीजिए!”

अब सबसे बड़ा सवाल ये है –


कब तक हम राम के नाम पर गुटों की रणनीति में उलझे रहेंगे,
और कब रामनवमी फिर से राम की हो पाएगी? इसी तरह चलता रहा तो अगली बार रामनवमी में शामिल होने से पहले ये ज़रूर पूछ लीजिए – ‘किस गुट के राम?

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