हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के सैकड़ों वर्ष पुराने शीतला माता मंदिर में एक घोड़ा माता के दर्शन करने पहुंचा और काफी समय तक मूर्ति के सामने सिर झुका कर खड़ा रहा । इस दृश्य को वहां मौजूद भक्तों ने कैमरे में कैद कर लिया और अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस मंदिर में स्थित कुंवर देव की सवारी माना जाता है घोड़े को ।

जहां पत्थरों से जलती है ज्योत, वहां सिरहा की सवारी से चलता है सिंहासन
यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। आज भी यहां नवरात्रि के दौरान “माई ज्योत” पारंपरिक तरीके से पत्थरों को रगड़कर प्रज्ज्वलित की जाती है। लेकिन मंदिर का सबसे रहस्यमय दृश्य तब दिखता है, जब सिरहा बूढ़ी माई के सिंहासन पर विराजमान होते हैं और देखते ही देखते सिंहासन खुद-ब-खुद चलने लगता है!
यह परंपरा केवल आदिवासी समाज के सिरहा ही निभा सकते हैं। सिरहा वे होते हैं, जिन पर देवी-देवताओं की शक्ति आती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दौरान कोई भी सिंहासन को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि यह माता की अलौकिक शक्ति से स्वतः ही संचालित होता है।
नवरात्रि में उमड़ती है आस्था, बिना चप्पल के जंवारा विसर्जन की परंपरा
हर साल चैत्र और कुँवार नवरात्रि में श्रद्धालु मनोकामना ज्योत जलाने आते हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और माता से आशीर्वाद पाकर पुनः यहां आकर माई ज्योत प्रज्ज्वलित करते हैं।
जंवारा विसर्जन के दौरान तपती गर्मी में श्रद्धालु बिना चप्पल के घंटों पैदल यात्रा करते हैं, जो माता के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। अब माता के दर्शन करने पहुंचे घोड़े की भक्ति और सिरहा की सवारी से और प्राचीन तरीके से ज्योत प्रज्वलित करने की परंपरा भक्तों की मंदिर के प्रति आस्था को और भी बढ़ाती है ।
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