बुजुर्ग सियाराम की जंगल कहानी, शहरी जीवन से दूर जंगल में तपस्या, 65 साल की उम्र में पिछले 45 सालों से एकांकी जीवन जी रहे है जानिए इस हार्मिट की कहानी ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

बुजुर्ग सियाराम की जंगल कहानी 65 वर्षीय सियाराम कोर्राम ने शहर और रिश्तों की उलझन छोड़, घने जंगल में तपस्वी की तरह मिट्टी की झोपड़ी और मचान में आत्मनिर्भर जीवन चुना है। पढ़ें रोमांचक कहानी!

गरियाबंद जहां लोग शांति के लिए पहाड़ और जंगलों में छुट्टियां मनाने जाते हैं, वहीं धमतरी जिले के 65 वर्षीय सियाराम कोर्राम ने भीड़भाड़ और रिश्तों की उलझनों से दूर घने जंगल को ही अपना स्थायी घर बना लिया है। मिट्टी की झोपड़ी और मचान में जीवन बिताते हुए वे प्रकृति में पूरी तरह आत्मनिर्भर और संतुष्ट हैं।

बुजुर्ग सियाराम की जंगल कहानी

बुजुर्ग सियाराम की जंगल कहानी

बुजुर्ग सियाराम की जंगल कहानी सालों से जी रहे वन तपस्वी की जिंदगी

तुमराबहार पंचायत के गहन वन क्षेत्र में मिट्टी का घर बनाकर अकेले रहने वाले सियाराम तपस्वियों जैसी सादगी और निर्भीकता से जंगल में रहते हैं। गर्मियों में रात में 15-20 फीट ऊंचे पेड़ों पर मचान बनाते हैं, ताकि जंगली जानवरों से बच सकें। बरसात और सर्दी में मिट्टी के घर में ही गुजर-बसर करते हैं।

रिश्तों से दूर, प्रकृति से गहरा जुड़ाव

सियाराम ने कभी शादी नहीं की। उनके परिवार में मां और भाई हैं, लेकिन उन्होंने बचपन से ही जंगल में रहना चुना और कभी लौटने की कोशिश नहीं की। उन्होंने बताया कि जंगल के जानवर अब अपने जैसे लगते हैं, उनसे कोई डर नहीं।

नदी की मछली से चलता है जीवन

सियाराम पास बहने वाली नदी से मछली पकड़ते हैं और उसे धमतरी बाजार में बेचकर जरूरी सामान खरीदते हैं। इसके लिए उन्हें घने जंगलों से कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। न सड़क, न मोबाइल सिग्नल, न बिजली सियाराम का यह जीवन असली आत्मनिर्भरता की मिसाल है।

जंगल में खतरों से न डरने वाला हौसला

एक बार हाथियों ने सियाराम को घेर लिया था, लेकिन वन विभाग ने समय रहते उन्हें बचा लिया। वह हमेशा पटाखे अपने साथ रखते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर जंगली जानवरों को दूर भगा सकें। उनका कहना है –जानवर अब अपने साथी जैसे हैं, उनसे डरना नहीं आता।

पानी सबसे बड़ी समस्या, मदद की आस

ग्राम पंचायत सरपंच दीपक राम ध्रुव ने बताया कि इलाके में न हैंडपंप है, न नल, न कुआं सियाराम नदी का पानी पीने को मजबूर हैं। हालांकि पंचायत ने प्रस्ताव बनाकर जल्द हैंडपंप लगाने का भरोसा दिलाया है। जनपद पंचायत सीईओ दीपक ठाकुर ने बताया कि सियाराम को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी दिया गया है और पेयजल व्यवस्था के लिए पीएचई विभाग से बातचीत जारी है

सियाराम आधुनिक जीवनशैली के लिए आईना

सियाराम का तपस्वी-सा जीवन दिखाता है कि असली शांति और संतोष बाजार और भीड़भाड़ में नहीं, बल्कि प्रकृति में मिलती है। जहां लोग जंगलों में सुकून ढूंढने छुट्टियां बुक करते हैं, वहीं सियाराम ने उस सुकून को ही अपनी स्थायी दुनिया बना लिया है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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