विडंबना गरियाबंद में बारिश के बीच त्रिपाल तले अंतिम संस्कार, 15 साल से मुक्तिधाम में टीनाशेड का इंतजार ।

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

विडंबना गरियाबंद में जिले के मुडतराई गांव में 15 साल से मुक्तिधामण जाने के लिए सड़क निर्माण नहीं होने के चलते मजबूरी में बारिश के बीच त्रिपाल तले अंतिम संस्कार कर रहे हैं। प्रशासन मौन ग्रामीणों की व्यथा जीवनभर पंचायत की मीटिंग में भीगते रहे, अब मरने के बाद भीगना तय पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।

Oplus_131072
Oplus_131072
IMG-20250917-WA0011
IMG-20250917-WA0012
previous arrow
next arrow

गरियाबंद जिंदगी भर बारिश में काम करने वाले मजदूरों और किसानों की आत्मा शायद यही सोचकर ऊपर जाती होगी चलो भाई, अब ऊपर जाकर ही सूखेंगे। लेकिन गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक के जेन्जरा पंचायत के मुडतराई गांव के हालात ऐसे हैं कि मरने के बाद भी इंसान सूख नहीं पाता । ग्रामीणों की श्मशान घाट जाने वाले मार्ग पर पिछले 15 साल पुरानी सड़क निर्माण की मांग अब तक अधूरी है । मुक्तिधाम में टीनाशेड का निर्माण जरूर हुआ है ।लेकिन सड़क नहीं होने चलते बारिश में श्मशान घाट पहुंचना मुश्किल हो जाता है जिसके चलते ग्रामीण रस्ते पर ही टीन शेड का निर्माण करने की मांग कर रहे है पंचायत से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन नतीजा वही सुनवाई का टीनाशेड भी नहीं ।

विडंबना गरियाबंद में

विडंबना गरियाबंद में त्रिपाल की इमरजेंसी स्कीम

बरसात में जब गांव के किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार होता है, तो ग्रामीणों को मजबूरी में त्रिपाल टांगकर दाह संस्कार करना पड़ता है। हालात यह हैं कि त्रिपाल ही स्थायी शेड बन चुका है, और शायद यही मुक्तिधाम मॉडल आने वाली पीढ़ियों को सौंपा जाएगा

प्रशासन का मौन, ग्रामीणों का सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि जीते जी पंचायत के सामने झुके, मरने के बाद त्रिपाल के नीचे झुक रहे हैं। अब तो हमें डर है कि कहीं अगले चुनाव में भी त्रिपाल को ही शेड का विकल्प बताकर वोट न मांग लिया जाए।

सवाल वही जिम्मेदार कौन?

15 सालों से गांव के लोग इंतजार कर रहे हैं, लेकिन पंचायत और जिला प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। सवाल यह उठता है कि क्या विकास केवल पोस्टरों और भाषणों में ही होता है?

साधारण से टीन शेड के लिए का साल से जद्दोजहद

मुडतराई गांव की यह विडंबना प्रशासन और व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। जहां योजनाओं और शिलान्यास के ढोल बजते हैं, वहीं एक साधारण टीनाशेड के लिए 15 साल की प्रतीक्षा अब ग्रामीणों के सब्र का इम्तिहान ले रही है।

यह भी पढ़ें …. गरियाबंद में शिक्षा विभाग की साइकिल नीति आसमान तले गीली पड़ी भविष्य की सवारी ।

कृपया शेयर करें

अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!