हिमांशु सांगानी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में शिक्षा का हाल बेहाल! एक दिन में दो स्कूलों में ग्रामीणों ने लगाई तालाबंदी कोडोहरदी में शराबी शिक्षक से तंग आकर, कांटीदादर में शिक्षक की कमी से नाराज होकर। Pairi Times 24×7 की व्यंग्य विशेष रिपोर्ट।
गरियाबंद जिले की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों किसी परीक्षा से नहीं, तालों से गुजर रही है। मंगलवार का दिन जिले के लिए ताला दिवस साबित हुआ जब एक नहीं, बल्कि दो स्कूलों के दरवाजे ग्रामीणों ने ताले से सील कर दिए। वजहें अलग-अलग थीं, लेकिन दर्द एक ही शिक्षा विभाग की नींद।

शराबी प्रधान पाठक और तंग ग्रामीण
पहला मामला कोडोहरदी स्कूल का है। यहां के प्रधान पाठक पर आरोप है कि वे पढ़ाने से ज्यादा पढ़ते हैं वो भी बोतल का ज्ञान। गांववालों का कहना है कि शिक्षक की ड्यूटी क्लासरूम में नहीं, बल्कि दारू ठेके के आसपास ज्यादा दिखती है। आखिरकार परेशान ग्रामीणों ने तय किया जब शिक्षक स्कूल नहीं आएंगे, तो स्कूल ही बंद कर देते हैं। और बस, ताला लगा दिया गया।

कांटीदादर में शिक्षक की मांग, ताला जवाब
दूसरा मामला कांटीदादर मिडिल स्कूल का है, जहां छठवीं से आठवीं तक तीन क्लास के बच्चे एक ही शिक्षक के भरोसे किसी तरह A, B, C और D के बीच संतुलन साध रहे थे। ग्रामीणों ने महीनों से नया शिक्षक भेजने की मांग की थी, पर जवाब में विभाग ने वही पुराना वाक्य दोहराया प्रक्रिया में है। आखिर आज ग्रामीणों ने कहा अब प्रक्रिया हम दिखाएंगे, और स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया।
विभाग सक्रिय है… कागज़ों में
दोनों ही मामलों में ग्रामीणों ने बार-बार पत्राचार कर अपनी बात रखी, लेकिन जवाब मिला सिर्फ आश्वासन का पुलिंदा। अब सवाल यह है कि बच्चों की किताबें कब खुलेंगी जब ताले टूटेंगे या जब विभाग की नींद?
Pairi Times 24×7 की यह रिपोर्ट यह बता रही कि गरियाबंद की शिक्षा अब किताबों से नहीं, तालों से पढ़ाई जा रही है।


