गरियाबंद निकाय चुनाव: कांग्रेस में गुटबाजी का महाभारत! ‘सपने सत्ता के, लड़ाई अपनों से’ घोषणा पत्र के दौरान भी दिखी गुटबाजी ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

गरियाबंद नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस के हालात किसी टीवी सीरियल से कम नहीं हैं। रोज़ नई ट्विस्ट और टर्न, गुटबाजी का महाभारत, और सत्ता की दौड़ में अपनों को ही गिराने की साजिशें। “एकजुट कांग्रेस” का नारा अब “तेरा गुट, मेरा गुट” में बदल चुका है।

बुधवार को जब राजिम के पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल और पालिका चुनाव प्रभारी आनंद पवार की मौजूदगी में घोषणा पत्र जारी हुआ, तब ऐसा लगा मानो पार्टी में शांति का डोज़ दे दिया गया हो। लेकिन कुछ घंटों बाद ही अचानक आनंद पवार की छुट्टी कर दी गई और राजेंद्र सोनी को नया प्रभारी बना दिया गया। भाई, ये कांग्रेस है या कोई रियलिटी शो, जहां हर घंटे Elimination हो रहा है?

5 पार्षद लापता!
घोषणा पत्र के दौरान 15 में से 5 पार्षद नदारद रहे। कोई कह रहा है बैठक का बायकॉट, तो कोई इसे आंतरिक आंदोलन बता रहा है। अंदर की खबरें कहती हैं कि गुटबाजी की दीवारें इतनी ऊंची हो गई हैं कि अब एक गुट के नेता दूसरे गुट के कार्यक्रमों में जाने से परहेज कर रहे हैं।कांग्रेस पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद से ही बवाल के इस राजनीतिक सर्कस की शुरुआत हो गई थी। अब पार्षद प्रत्याशी एक-दूसरे को हराने की गुप्त योजना में जुट गए हैं। ये हाल रहा तो जीत के सपने में कांग्रेस का टायर पंक्चर होना तय है।

चुनाव से पहले ही हार की तैयारी!
पालिका चुनाव में अब सिर्फ 4 दिन बचे हैं। जिस तरह से पार्टी के भीतर घमासान मचा है, उससे बीजेपी वाले चैन से चाय की चुस्कियां ले रहे होंगे। उधर, कांग्रेस के समर्थक परेशान हैं कि कहीं ये गुटबाजी राजनीतिक भस्मासुर न साबित हो जाए।

तो क्या कांग्रेस को अब “गुटबाजी मुक्ति अभियान” की जरूरत है? या फिर चुनाव के बाद कोई नया बहाना तैयार रहेगा?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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