विपिन सोनवानी / देवभोग
देवभोग। 14 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी में धीमी परिवहन व्यवस्था के कारण देवभोग और गोहरापदर समितियों के उपार्जन केंद्रों पर अव्यवस्था चरम पर पहुंच गई है। धान का जमावड़ा बढ़ने के कारण कई केंद्रों पर किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उनका धान समय पर खरीदा नहीं जा रहा है।
क्या है समस्या?
देवभोग समिति के 10 और गोहरापदर समिति के 17 उपार्जन केंद्रों में खरीदी तो हो रही है, लेकिन परिवहन की गति बेहद धीमी है। गोहरापदर समिति में अब तक कुल 12 लाख क्विंटल धान खरीदा जाना था, लेकिन सिर्फ 3.65 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई है और इसका केवल 21% परिवहन हो पाया है। देवभोग समिति में भी स्थिति अलग नहीं है, जहां 25% से कम धान का परिवहन हो पाया है।
उपार्जन केंद्रों पर जगह की कमी:
धीमी परिवहन के कारण सिनापली, लाटापारा, घूमरगुड़ा और गोहरापदर जैसे प्रमुख उपार्जन केंद्रों पर धान रखने की जगह नहीं बची है। बरबहाली और कदलीमुड़ा केंद्रों में अभी तक परिवहन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
समितियों को उठाना पड़ रहा अतिरिक्त खर्च
धान की सुरक्षा और भंडारण के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है। फड़ प्रभारियों का कहना है कि बफर लिमिट से अधिक धान आने के कारण डनेज, कैप कवर और भूसे की व्यवस्था करनी पड़ रही है। इसके लिए मजदूरों की जरूरत भी बढ़ी है, जिससे समितियों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। वहीं, विभागीय अधिकारी इन खर्चों को लेकर बाद में आपत्ति जताते हैं, जिससे फड़ प्रभारियों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।
किसानों की मांग: समय पर परिवहन सुनिश्चित हो
किसानों का कहना है कि धीमी परिवहन से उनकी परेशानी बढ़ रही है। समितियों द्वारा कम टोकन जारी किए जा रहे हैं, जिससे उनकी फसल उपार्जन केंद्रों तक समय पर नहीं पहुंच पा रही है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि परिवहन की रफ्तार तेज की जाए, ताकि धान खरीदी प्रक्रिया सुचारू हो सके और उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।