हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद। प्यार का इज़हार, शादी का झांसा और नाबालिग की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले आरोपी को आखिरकार कानून ने उसकी सही जगह पहुंचा दिया। फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय, गरियाबंद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर ने आरोपी सुधीर राजपूत को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

प्यार की आड़ में छलावा
सुधीर राजपूत, जो मैनपुर इलाके में राजमिस्त्री का काम करता था, ने नाबालिग लड़की को अपने प्रेमजाल में फंसाया। शादी का झांसा देकर उसे अपने साथ भगा ले गया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। मामला तब खुला जब पीड़िता के भाई ने अपनी बहन की गुमशुदगी की रिपोर्ट मैनपुर थाने में दर्ज कराई। पुलिस की तत्परता से आरोपी के घर से लड़की को बरामद कर लिया गया।
मोबाइल बना मोहब्बत का जरिया या साजिश का हथियार?
लड़की से बातचीत की शुरुआत मोबाइल नंबरों के आदान-प्रदान से हुई। प्यार की यह डिजिटल शुरुआत धीरे-धीरे धोखे में बदल गई। आरोपी ने शादी का वादा कर नाबालिग को अपने साथ ले जाने की योजना बना डाली।
अदालत ने सुनाई कड़ी सजा
फास्ट ट्रैक कोर्ट में विशेष लोक अभियोजक एच. एन. त्रिवेदी ने 12 गवाहों की पेशी कर आरोपी को दोषी साबित किया। अदालत ने आईपीसी की धारा 363 और 366 के तहत क्रमशः 2 और 5 साल की सजा सुनाई, जबकि पॉक्सो एक्ट की धारा 06 के तहत 20 साल की सश्रम कारावास की सजा दी।
चार लाख रुपये का मुआवजा—न्याय का मरहम
अदालत ने नाबालिग की शारीरिक और मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर को उसे 4 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। यह फैसला सिर्फ आरोपी को सबक नहीं, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी है।