हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद छत्तीसगढ़ की राजनीति बड़े-बड़े चुनावी दंगलों के लिए जानी जाती है, लेकिन मैनपुर विकासखंड के हरदीभाठा गांव का वार्ड नंबर 14 अलग वजह से सुर्खियों में रहता है। वजह सिर्फ 28 वोटरों वाला यह छोटा सा वार्ड, जहां चुनावी जंग किसी लोकसभा चुनाव से कम नहीं! मुद्दा? ‘नाली!’ लेकिन असल लड़ाई ‘सियासी दबदबे’ की है।

पांच घर 27 मतदाता और 3 उम्मीदवार
यहाँ कुल पाँच घर हैं, और तीन उम्मीदवार मैदान में। अब दिलचस्प बात यह है कि एक महिला प्रत्याशी के परिवार के पास 13 वोट हैं। यानी चुनावी ‘इंजन’ घर से ही स्टार्ट हो चुका है! अब सवाल यह है कि बचे हुए 15 वोटर किसकी तकदीर लिखेंगे?
सुबह से ही मतदान जोश में था, और 12 बजे तक 65% वोटिंग हो चुकी थी। हमने जब दो प्रत्याशियों से बात की, तो उनके जवाब और भी धमाकेदार निकले। एक बोले—”यह सिर्फ नाली की लड़ाई नहीं, हमारी सियासी पकड़ का इम्तिहान है!” दूसरे ने चुनौती दी—”यहाँ पंचायती ताकत दांव पर लगी है, देखते हैं किसकी जीत होती है!”
हरदीभाठा का यह चुनावी समर भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन रोमांच में किसी बड़े चुनाव से कम नहीं। यहाँ नारा नहीं, वोटर ही असली ‘वोट बैंक’ हैं, और 15 वोटों का ‘सुपर किंगमेकर’ ग्रुप ही तय करेगा कि पंच की कुर्सी किसे मिलेगी!
अब देखना यह है कि ‘नाली का मुद्दा’ किसे सत्ता की गली तक पहुंचाता है और किसका सपना ‘ड्रेनेज सिस्टम’ में बह जाता है!