गरियाबंद का आत्महत्या गांव फिर दहला,खेत की झोपड़ी में युवक का शव,लेकिन वजह ने सबको उलझा दिया ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

गरियाबंद का आत्महत्या गांव इंदागांव में 3 महीने बाद फिर मौत। 26 मार्च को मनोविशेषज्ञों और Pairi Times टीम की पड़ताल में बेरोजगारी, शराबखोरी और मानसिक तनाव को वजह माना गया था लेकिन आज युवक की मौत में ये वजह सामने आई ।


गरियाबंद कभी आत्महत्या गांव के नाम से सुर्खियां बटोरने वाला इंदागांव शुक्रवार को एक बार फिर सन्नाटे में डूब गया। सुबह गांव के पुजारी पारा में रहने वाले 35 वर्षीय रॉबिन ध्रुव की लाश खेत की झोपड़ी में फंदे पर लटकती मिली। सबसे बड़ा सवाल आखिर क्यों, तीन महीने की शांति के बाद, यह गांव फिर मौत की खबर से हिल गया?

“26 मार्च को पहुंची जांच करने पहुंची विशेषज्ञों की टीम”

गरियाबंद का आत्महत्या गांव

गरियाबंद का आत्महत्या गांव

गरियाबंद का आत्महत्या गांव फिर तीन महीने बाद फिर गूंजा मौत का सन्नाटा

इंदागांव थाना प्रभारी विजय कुमार के मुताबिक, रॉबिन ने सुबह नाश्ते के वक्त पत्नी से विवाद किया और गुस्से में घर से निकल गया। कुछ ही समय बाद ममेरे परिवार के खेत में उसकी लाश झोपड़ी के अंदर फंदे से लटकती मिली। मृतक मजदूरी करता था, शादी को 15 साल हो चुके थे लेकिन संतान नहीं थी। माता-पिता पहले ही गुजर चुके थे।

गांव का पुराना दर्द जब 20 दिन में 15 आत्महत्या प्रयास हुए थे

यह वही गांव है, जहां तीन महीने पहले 20 दिनों के भीतर 15 आत्महत्या प्रयास हुए थे, जिनमें 3 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय 26 मार्च को, पड़ताल करने के लिए मनोविशेषज्ञों की टीम इंदागांव पहुंची थी। पैरी टाइम्स 24×7 की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों से बातचीत की थी, जिसमें यही मुख्य कारण निकलकर आए थे। बेरोजगारी, शराबखोरी और मानसिक तनाव। इन कारणों ने खासकर युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ा दिया था।

कच्ची शराब में मिला जानलेवा ज़हर

पड़ताल के दौरान ग्रामीणों ने विशेषज्ञों को यह भी बताया कि गांव में बनने वाली कच्ची शराब में यूरिया, तंबाकू और धतूरा जैसे जहरीले तत्व पाए जाते है,जो मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।

मीडिया की पड़ताल और पुराने डर की वापसी

पैरी टाईम्स की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों से बातचीत की थी इस पड़ताल में पाया कि शराबखोरी, बेरोजगारी और तनाव ने मिलकर एक ऐसा माहौल बना दिया है, जहां जिंदगी से मोहभंग होना आम हो गया है। अब, रॉबिन की मौत ने फिर से पुराने डर को जिंदा कर दिया है ।कहीं यह गांव फिर उसी अंधेरे दौर में तो नहीं लौट रहा?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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