तबादले का ताबीज़ गरियाबंद में कुर्सी गई, कहानी रह गई, कोई इनाम का हकदार तो कोई फजीहत का शिकार विभाग में सर्जरी नहीं, सियासी टांके लगे!

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By Himanshu Sangani

तबादले का ताबीज़ गरियाबंद में कुर्सी गई जिले में एक विभाग में बड़ा तबादला, किसी को मेहनत का इनाम मिला तो किसी को मिली फजीहत की पर्ची। कुर्सी बदली, चर्चाएं गरम हुईं। पढ़ें कैसे विभाग में सर्जरी नहीं, सियासी टांकों का कमाल हुआ।

गरियाबंद, कभी कुर्सी मिली थी ताज समझकर, आज उसी कुर्सी ने कह दिया पद छोड़ो, परेशानी बहुत है। गरियाबंद के एक विभाग के हालिया तबादले ने विभाग के कप्तान की किस्मत ने पलटी मारी है । शिकायतों के चलते इमेज तो पहले ही चली गई थी अब ट्रांसफर लिस्ट में नाम आया तो कुर्सी भी गई, गरिमा भी साल डेढ़ साल पहले जब इस विभाग में रायपुर से प्रमोट होकर आए थे तो लगा था विभाग की व्यवस्था में कुछ नया होगा .. हुआ भी…कुछ ही दिनों में शिकायतों का नया कीर्तिमान बन गया स्टॉफ के बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारी तक, हर किसी ने एक समस्या एक समाधान शिकायत नए कप्तान से छुटकारा दिलाओ अभियान चला दिया। रही सही कसर साथ में लाए सहयोगी ने पूरी कर दी ।

तबादले का ताबीज़ गरियाबंद में कुर्सी गई

तबादले का ताबीज़ गरियाबंद में कुर्सी गई

तबादले का ताबीज़ गरियाबंद में कुर्सी गई पारिवारिक सहयोग या सत्ता का साया ?


सिस्टम में सुपर बॉस की एंट्री जिले में पोस्टिंग के दौरान कप्तान अकेले नहीं आए थे साथ लाए थे विशेष सहायक को जिन्हें पद भले ही न मिला हो, पर प्रभाव ऐसा कि फाइलों के ऊपर नाम नहीं, उनके इशारे से फैसला होता था। धीरे-धीरे विभाग में यह सवाल तैरने लगा: असली बॉस कौन है? हालत ये हो गई कि शिकायत करने वालों को समझाया नहीं, समझा दिया गया धमकी, फोन कॉल, और ‘प्यारा सा’ दबाव कि शिकायत वापस लो, वरना पद और प्रतिष्ठा दोनों हवा हो जाएगी। कुछ तो मान भी गए, और जो नहीं माने, उनके नाम व्हाट्सएप ग्रुप में उछाले गए सोशल मीडिया को बनाया गया डिजिटल डंडा। मगर इतिहास गवाह है जब सिस्टम की असली लाठीबचलती है, तो ना रॉक’ बचता है, ना उसका रॉकस्टार जो उड़ान थी, वो भी अब डाउनलोड मोड में वापस उसी जगह पर पहुंच चुका है जहां से आना हुआ था । बताया जाता है कि यही वो ठिकाना था, जहां कप्तान और उनके सहयोगी की जोड़ी ने मिलकर कई फाइलें रंगीन की थीं, जिनकी गूंज कई अख़बारों में सुर्खियों के रूप में छपी थी।

सत्ता-संजीवनी का असर खत्म! अब चाटुकारों की बुलेट पंचर!

कहते हैं कि गरियाबंद की हवा में तब तक बदलाव नहीं आता जब तक राजधानी से इशारा न हो। और यही भरोसा दिलाकर कुछ खास जनप्रतिनिधि एक “पूर्व” और कुछ उनके ही दल विशेष के स्थानीय नेता और गुड़-घिस्सू ब्रिगेड लगातार कोशिशों में लगे थे कि कुर्सी न खिसके। सोशल मीडिया दो धड़ों में बंट चुका था । एक धड़ा था जो शिकायतों की एक्स-रे रिपोर्ट दिखा रहा था, और दूसरा ऐसा भी था जो आप जैसी अफसर तो जन्मों में एक बार आते हैं जैसे डिजिटल आरती कर रहा था। कुछ तो इतने आगे निकल गए कि कहने लगे, राजधानी में रिश्ते इतने मजबूत हैं कि ट्रांसफर सिर्फ अफवाह है। मगर जैसे ही आदेश निकला, वो सत्ता-संजीवनी का नशा उतर गया और तारीफों की वह चिपकी हुई पोस्टें भी अचानक डिलीट मोड में चली गईं। इस ट्रांसफर ने न सिर्फ कुर्सी बदली, बल्कि भविष्यवाणी करने वालों की जुबान पर भी फोड़ा उगा दिया!

कुर्सी छूटी, पर मोह नहीं अब न्याय की चौखट पर न्याय का अपमान!

विभाग की गलियों में चर्चा है कि कुर्सी तो चली गई, लेकिन मोह नहीं गया सूत्र बताते हैं कि पूर्व कप्तान अब सामान्य खिलाड़ी की भूमिका में आने को तैयार नहीं टीम में रहना है तो बस कप्तान बनकर ही अब तो ये भी सुनने में आ रहा है कि तबादले को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। यानी पहले जब शिकायतें हुईं, तो उन्हें दुर्भावनापूर्ण साजिश बताकर खारिज किया गया। फिर जब ट्रांसफर हुआ, तो लोक सेवा आयोग से बड़ी अदालत का दरवाज़ा खटखटाने की खबरें आने लगीं। लगता है अब कुर्सी से उतरना नहीं, कुर्सी से चिपककर घसीटते जाना मिशन बन चुका है! लेकिन ये वही लोग हैं जो कभी आलोचनाओं पर चुप थे, अब न्यायालय को भी इस खेल में घसीटने को तैयार हैं। सवाल यह नहीं कि वो कोर्ट जा रहे हैं, सवाल ये है खुद से कब सवाल पूछेंगे ?

तालियों वाले कारनामों पर लगेगी RTI खुलेंगे फाइलों के खेल

जानकारी तो ये भी है कि अब कप्तानी खत्म होने के बाद आरटीआई योद्धा मैदान में उतर चुके हैं। कहते हैं फाइलें जितनी चुपचाप पास हुई थीं, अब उतनी ही शोर मचाकर खुलेंगी। जिन कारनामों पर पहले तालियां बज रही थीं, अब वही दस्तावेज जांच की टेबल पर पहुंच रहे हैं।

सिस्टम का संतुलन मेहनत का मिला फल

दूसरी तरफ, एक पुराने अनुभवी योद्धा जो वर्षों से पास के एक तहसील में डटे रहे उन्हें अब जिले की सेहत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके बारे में कहा जाता है कि रिपोर्ट कार्ड नहीं रिपोर्ट बनाते हैं और शायद यही वजह रही कि उन्हें नई भूमिका दी गई।

बदलाव की बयार अब प्रबंधन भी रीसेट

विभाग के संबंधित संस्थान में भी लंबे समय से बैठे एक स्थायी प्रभारी को अब राहत दे दी गई है। उनकी जगह अब दूसरे जिले से आए क्लीन इमेज वाले अफसर को जिम्मेदारी दी गई है, जिनके आने से उम्मीद की जा रही है कि कटिंग चार्ट से ज़्यादा केयर चार्ट दिखेगा।

यह भी देखे ….बहनजी हेल्थ केयर लिमिटेड का गरियाबंद चैप्टर बंद अब आएगा नया एपिसोड डॉ. नवरत्न के साथ ।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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