हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद के कोपरा गौशाला में बीते दिनों 19 गायों की भूख से मौत के बाद प्रशासन ने वहां की गायों की शिफ्टिंग को लेकर बवाल हो गया , गायों को अन्य गौशालाओं में भेजने का फैसला लिया, लेकिन यह शिफ्टिंग खुद विवादों में घिर गई है। मंगलवार को प्रशासन ने बीमार और कमजोर गायों को ठूंस-ठूंसकर पशु वाहन में भरकर धवलपुर की गायत्री गौशाला भेजने की कोशिश की, जिसे विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय में रोक लिया।

गायों को दोपहर की धूप में ठूंसकर भेजने पर बवाल
गायों की शिफ्टिंग पर बवाल इसलिए बताया जा रहा है कि जिस वाहन में सिर्फ 10 गायों के लिए जगह थी, उसमें 20 से ज्यादा गायों को ठूंस दिया गया। इनमें से कई गायें बीमार थीं, तो कई के शरीर पर जख्म के निशान थे। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन ने शिफ्टिंग से पहले न तो गायों की सेहत का ध्यान रखा और न ही उनके लिए चारे-पानी की कोई व्यवस्था की।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने रोका वाहन
गायों की शिफ्टिंग के दौरान गायों की यह हालत देखकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय में वाहन को रोक लिया। कार्यकर्ताओं ने मौके पर ही गायों को चारा-पानी उपलब्ध कराया और प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर इस लापरवाही से किसी भी गोवंश की मौत होती है, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
गौ सेवा विभाग ने क्या कहा?
गौ सेवा विभाग के संयोजक परस देवांगन ने कहा, प्रशासन द्वारा गायों की शिफ्टिंग में भारी लापरवाही की जा रही है
“गायों को 60-70 किलोमीटर दूर भरी दोपहरी में ठूंसकर भेजा जा रहा है, जिससे वे रास्ते में ही दम तोड़ सकती हैं। यह पशु क्रूरता है और प्रशासन को इसका जवाब देना होगा।”
वहीं, विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष प्रकाश निर्मलकर ने प्रशासन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा,
“हमें गायों की शिफ्टिंग से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रशासन को यह भी देखना चाहिए कि बीमार और कमजोर गायों को इस तरह अमानवीय तरीके से न भेजा जाए। अगर इस दौरान किसी भी गोवंश की मौत हुई, तो हम सड़कों पर उतरेंगे।”
प्रशासन पर सवाल खड़े हुए
गौशाला की बदहाल व्यवस्था की वजह से पहले ही 19 गायों की मौत हो चुकी है, अब प्रशासन द्वारा लापरवाही पूर्वक की जा रही गायों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रशासन गोवंश की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं है? और अगर यह शिफ्टिंग सही तरीके से नहीं हो रही है, तो क्या प्रशासन गायों को मौत के मुंह में धकेल रहा है?
फिलहाल, कार्यकर्ताओं की आपत्ति के बाद जिला प्रशासन बैकफुट पर नजर आ रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन गायों के शिफ्टिंग प्रबंधन में सुधार करता है या फिर आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ेगा।