गांजा तस्करी में वर्दीधारी तस्कर: कानून के रखवाले या गुनहगार?

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By Himanshu Sangani

बिलासपुर से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो वर्दी के सम्मान को दागदार कर देती है। गांजा तस्करी में शामिल जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) के चार आरक्षकों पर आखिरकार गाज गिर ही गई। रेल पुलिस अधीक्षक जे.आर. ठाकुर ने इन चारों आरक्षकों – सौरभ नागवंशी, मन्नू प्रजापति, संतोष राठौड़ और लक्ष्मण गाईन – को सेवा से बर्खास्त कर दिया।

पकड़े गए आरोपियों ने खोली पोल ।


पिछले महीने, बिलासपुर रेलवे स्टेशन के नागपुर छोर पर स्थित शौचालय के पास से 10 किलो गांजा बरामद हुआ था। मामले में दो आरोपी गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन असली ट्विस्ट तब आया, जब आरोपियों ने जीआरपी के इन आरक्षकों का नाम लिया।

जांच में चौकाने वाले तथ्य सामने आए।

रेल उप पुलिस अधीक्षक एसएन अख्तर की जांच में इन आरक्षकों की संलिप्तता साबित हुई। जांच में न केवल अपराध में उनकी भूमिका स्पष्ट हुई, बल्कि उनके बैंक खातों में करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन भी पाया गया। आय से अधिक संपत्ति और अवैध लाभ अर्जित करने की पुख्ता जानकारी सामने आई।

सिस्टम पर उठते सवाल ।


29 अक्टूबर को इन चारों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
गांजा तस्करी का यह खेल लंबे समय से चल रहा था, और इनका तरीका वर्दी की आड़ में “आदर्श” अपराधियों जैसा था। यह घटना सिर्फ इन चार आरक्षकों की बर्खास्तगी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल उठाती है। आशा है कि इस घटना से सबक लेते हुए सिस्टम में सुधार होगा। वर्दी का मान-सम्मान बचाना जरूरी है,

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