हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद
गरियाबंद। जिले में सहायक शिक्षकों की प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर उठे विवाद के बीच जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने स्थिति स्पष्ट की है। हाल ही में स्थानीय समाचार पत्र “पत्रिका” में प्रकाशित एक समाचार में इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद डीईओ ने खंडन जारी किया।
डीईओ ने जारी किया था कॉउंसलिंग का आदेश
डीईओ के मुताबिक, 6 नवंबर 2024 को गरियाबंद के विकासखंड स्त्रोत केन्द्र समन्वयक में दोपहर 3 बजे ओपन काउंसलिंग का आयोजन किया गया। इसमें जिले के 24 शिक्षकों ने भाग लिया। मैनपुर विकासखंड के 20 शिक्षकों के लिए 26 शालाओं को पदोन्नति हेतु प्रदर्शित किया गया, जिसमें 18 शिक्षकों ने सहमति दी और 2 शिक्षकों ने असहमति जताई।
शिक्षको ने दिया था अभिमत
गरियाबंद विकासखंड के तीन शिक्षकों के लिए 6 शालाएं दिखाई गईं, जिसमें 4 शिक्षक विहीन और 2 एकल शिक्षकीय शालाएं थीं। इनमें से दो शिक्षकों ने सहमति दी, जबकि एक शिक्षक ने असहमति व्यक्त की। देवभोग विकासखंड में एक शिक्षक की पदोन्नति के लिए 2 शालाओं को प्रदर्शित किया गया, जिसमें संबंधित शिक्षक ने असहमति जताई।
दिशा निर्देश के अनुरूप हुई प्रक्रिया
डीईओ ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया लोक शिक्षण संचालनालय के दिशा-निर्देशों के तहत हुई। नियमों के अनुसार, प्राथमिकता शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को दी जानी चाहिए। देवभोग विकासखंड के एक शिक्षक ने अपने गृह विकासखंड फिंगेश्वर में पदस्थापन की मांग की थी, जो नियमों के विरुद्ध होने के कारण संभव नहीं हो सका। डीईओ ने आरोप लगाया कि कुछ शिक्षकों द्वारा प्रक्रिया के बारे में अधूरी जानकारी के कारण विभाग की छवि खराब करने का प्रयास किया गया।