हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
बिलासपुर। कांग्रेस भवन बुधवार को किसी अखाड़े का दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी के लिए बुलाई गई बैठक में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री सुबोध हरितवाल और पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच जमकर गहमागहमी हुई। बात इतनी बढ़ी कि ‘स्वस्थ चर्चा’ गाली-गलौच और तू-तू, मैं-मैं में तब्दील हो गई। दोनों नेताओं ने कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का लाइव शो अपने समर्थकों और सोशल मीडिया दर्शकों के लिए पेश कर दिया।
“स्वस्थ परंपरा” या गाली-गलौच का जश्न?
इस घटना पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने चुटकी लेते हुए इसे कांग्रेस की “स्वस्थ परंपरा” बताया। उनके मुताबिक, “कांग्रेस जिंदा लोगों की पार्टी है, और जिंदा लोग गहमागहमी करते हैं।” यह बयान सुनने के बाद शायद विपक्षी दलों को कांग्रेस के भीतर झांकने का मौका मिल गया होगा कि “जिंदा लोगों” के इस उत्सव में गालियां भी उनकी रणनीति का हिस्सा हैं।
बैठक से रायपुर भागे पीसीसी चीफ दीपक बैज
पीसीसी चीफ दीपक बैज इस ‘स्वस्थ चर्चा’ को देखकर खुद भी अस्वस्थ हो गए और बिलासपुर छोड़कर रायपुर रवाना हो गए। बैठक में नेताओं के बीच सुलगते विवाद को शांत करने की जिम्मेदारी कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और शहर अध्यक्ष विजय पांडेय पर आ गई। दोनों ने किसी तरह इस बहस को ‘सुलझाने’ का प्रयास किया, लेकिन कांग्रेस भवन का माहौल तब तक सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था।
सोशल मीडिया का “कांग्रेसी मसाला”
इस विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर कांग्रेसियों के नए रूप की झलक दे रहा है। मजेदार बात यह है कि इस वाकये को कई लोग मजाकिया और कटाक्ष भरे कैप्शन के साथ साझा कर रहे हैं। इस प्रकरण ने कांग्रेस की “परिवारवादी राजनीति” को फिर सुर्खियों में ला दिया है। क्या यह स्वस्थ बहस का उदाहरण है या कांग्रेस के भीतर पनपते असंतोष का खुला प्रदर्शन? इन सवालों के जवाब तो समय देगा, लेकिन फिलहाल बिलासपुर कांग्रेस का यह शो चुनाव से ज्यादा मनोरंजन का साधन बन चुका है।