गरियाबंद अस्पताल कांड गार्ड के इंजेक्शन केस पर हाईकोर्ट की एंट्री अब क्या होगा आगे जाने पूरा मामला ।

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

गरियाबंद अस्पताल कांड गरियाबंद जिला अस्पताल में महिला गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाने के मामले पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। कलेक्टर से निजी हलफनामा, सीएमएचओ-सिविल सर्जन को नोटिस। कोर्ट ने ठहराया गंभीर लापरवाही और प्रणालीगत विफलता।

गरियाबंद/बिलासपुर जिला अस्पताल गरियाबंद में महिला गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाए जाने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। इस पूरे प्रकरण पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने गंभीर संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान इसे प्रणालीगत विफलता और गंभीर लापरवाही करार दिया।

गरियाबंद अस्पताल कांड

गरियाबंद अस्पताल कांड

गरियाबंद अस्पताल कांड कलेक्टर से मांगा निजी हलफनामा, अधिकारियों को नोटिस

हाईकोर्ट ने गरियाबंद कलेक्टर से निजी हलफनामा (Personal Affidavit) पेश करने को कहा है। साथ ही इस घटना में जिम्मेदारी तय करने के लिए सीएमएचओ और सिविल सर्जन को भी नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं बल्कि सिस्टम की नाकामी का उदाहरण है। 28 अगस्त को अगली पेशी ।

सोशल मीडिया और पैरी टाइम्स की रिपोर्ट बनी आधार

मामला तब सुर्खियों में आया जब महिला गार्ड द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने की खबर पैरी टाइम्स ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया, इसके बाद यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा जिसके चलते यह मामला सीधे न्यायालय की दहलीज तक पहुंच गया।

बड़ा सवाल इलाज या प्रयोगशाला?

मरीज और परिजनों ने सवाल उठाया है कि आखिर जिला अस्पताल जैसे गंभीर संस्थान में गार्ड को इलाज का जिम्मा कैसे दिया जा सकता है? अगर जिम्मेदार डॉक्टर और नर्स की मौजूदगी में ऐसी घटनाएं होंगी तो स्वास्थ्य सेवाओं पर जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा?

पैरी टाईम्स ने उठाएं थे सवाल…

गरियाबंद जिला अस्पताल में गार्ड द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने की घटना के बाद प्रबंधन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गार्ड को नौकरी से बाहर कर दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि उसी वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और नर्स को केवल नोटिस थमा कर छोड़ दिया गया। इस पर पैरी टाइम्स ने पहले ही सवाल उठाया था कि आखिर छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई क्यों, जबकि बड़े जिम्मेदारों को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। यही मुद्दा अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद और भी गंभीर होता जा रहा है।

हाईकोर्ट की सख्ती

बिलासपुर हाईकोर्ट ने गरियाबंद जिला अस्पताल प्रकरण पर कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति किसी भी हाल में रोकी जाए। सुनवाई में शासन ने बताया कि सीएमएचओ और सिविल सर्जन को नोटिस जारी किया गया है। चीफ जस्टिस ने इस नोटिस के पालन की विस्तृत जानकारी माँगते हुए गरियाबंद कलेक्टर से निजी हलफनामा भी तलब किया है, जिसमें अस्पताल में भविष्य में ऐसी लापरवाही रोकने के ठोस उपायों का उल्लेख हो। अदालत ने टिप्पणी की कि यह घटना न केवल चिकित्सा नैतिकता का गंभीर उल्लंघन है बल्कि सरकारी अस्पतालों पर जनता के भरोसे को भी गहरा आघात पहुँचाती है। केवल नोटिस देना पर्याप्त कदम नहीं, बल्कि दोषियों की जिम्मेदारी तय कर संस्थागत निगरानी को सख्त करना होगा।

अब नजरें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर

हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि कलेक्टर, सीएमएचओ और सिविल सर्जन का जवाब आने के बाद अदालत अगला कदम क्या उठाती है।

यह भी पढ़ें …. गरियाबंद जिला अस्पताल गार्ड इंजेक्शन मामला छोटे कर्मचारी पर गिरी गाज बाकी 3 के साथ नोटिस नोटिस का खेल ?

कृपया शेयर करें

अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!