हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद, 4 फरवरी 2025। गरियाबंद जिले में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हजारों उम्मीदवारों की भीड़ और नगरीय निकायों में अध्यक्ष व पार्षद पद के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। इस चुनावी माहौल में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है, जबकि नए चेहरों के उभरने की भी संभावनाएं बन रही हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: हर पद पर जबरदस्त मुकाबला
जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चार प्रमुख पदों के लिए कुल 8983 नामांकन दाखिल हुए हैं।
जिला पंचायत सदस्य (11 पद) – 69 उम्मीदवार, जिनमें कई प्रमुख राजनीतिक दलों के समर्थित चेहरे शामिल हैं।
जनपद सदस्य (103 पद) – 435 उम्मीदवार, जहां कई प्रत्याशी पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं।
सरपंच (334 पद) – 1323 उम्मीदवार, जिनमें अनुभवी उम्मीदवारों के साथ युवा वर्ग की भी बड़ी भागीदारी है।
पंच (4422 पद) – 7113 उम्मीदवारों की बड़ी संख्या, जिससे स्थानीय स्तर पर चुनावी माहौल और अधिक दिलचस्प हो गया है।
नगरीय निकाय चुनाव: अध्यक्ष पद के लिए कड़ा मुकाबला
जिले के 6 नगरीय निकायों में अध्यक्ष पद के लिए 20 उम्मीदवार मैदान में हैं।
अध्यक्ष पद पर नजर:
गरियाबंद नगर पालिका – यहां सीधा मुकाबला होना हैं।
नगर पंचायत राजिम – 6 उम्मीदवारों के साथ त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना।
फिंगेश्वर और कोपरा – चुनावी समीकरण उलटफेर कर सकते हैं।
देवभोग और छुरा – यहां के चुनावी नतीजे कई नई रणनीतियों की दिशा तय करेंगे।
पार्षद चुनाव: स्थानीय मुद्दों पर हावी उम्मीदवार
कुल 90 वार्डों के लिए 267 उम्मीदवार मैदान में हैं।
कोपरा में सर्वाधिक 54 और छुरा में सबसे कम 31 उम्मीदवार हैं।
इस बार के चुनाव में विकास कार्य, बुनियादी सुविधाएं और स्थानीय मुद्दे जैसे सड़क, पानी, और बिजली बड़े चुनावी मुद्दे बने हुए हैं।
राजनीतिक समीकरण पर नजर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इन चुनावों के नतीजे भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेंगे। जिला पंचायत और नगर निकायों में बड़े चेहरों की हार-जीत विधानसभा चुनावों के लिए भी संकेत हो सकती है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
स्वतंत्र उम्मीदवार भी कई जगह समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
चुनाव तैयारी और सुरक्षा
चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। मतदान 11 फरवरी को होगा, जिसमें जिले के मतदाताओं की अहम भूमिका होगी।
क्या कहता है राजनीतिक माहौल?
इन चुनावों में जनता का मिजाज कई नई संभावनाओं को जन्म देगा। अब देखना यह है कि कौन उम्मीदवार जनता का विश्वास जीत पाता है और कौन हार की कगार पर पहुंचता है।