गरियाबंद गौठान या श्मशान भूख-प्यास से मवेशियों की मौत, जिम्मेदार कौन बाड़े में कैद 200 जान ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

गरियाबंद गौठान गरियाबंद के फिंगेश्वर नगर पंचायत के अस्थाई कांजीहाउस में 5 से अधिक गायों की मौत। ग्रामीणों का आरोप भूख-प्यास से तड़पकर हुई मौतें, 200 से ज्यादा मवेशी संकट में पढ़ें पूरी खबर पैरी टाइम्स पर ।

गरियाबंद फिंगेश्वर नगर पंचायत के अस्थाई कांजीहाउस में गौठान योजना का असली धरातली रूप सामने आ गया है। यहां 5 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गायों की मौत भूख-प्यास से तड़प-तड़प कर हुई है।

गरियाबंद गौठान

गरियाबंद गौठान

गरियाबंद गौठान जगह-जगह बिखरे शव और कंकाल

गौठान का नजारा इतना भयावह है कि जगह-जगह मवेशियों के शव फेंके पड़े हैं, जबकि कई जगह कंकाल मिलने से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों का कहना है कि यह गौठान नहीं बल्कि कंकालगृह बन गया है।

2 सौ से ज्यादा मवेशी तड़प रहे

सूत्रों के अनुसार, कांजीहाउस में करीब 2 सौ से अधिक मवेशी भूख-प्यास से जूझ रहे हैं। चारे और पानी की व्यवस्था नाममात्र की है। व्यंग्य यह है कि योजनाओं के कागजों में गौठान ‘मॉडल डेयरी’ बन चुके हैं, जबकि जमीनी हकीकत मौत और बदहाली की गवाही दे रही है।

मौत पर राजनीति, जिम्मेदारी गायब

स्थानीय लोगों का सवाल है कि आखिर जिम्मेदारी किसकी है? क्या नगर पंचायत प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं? या फिर यह सब गौठान महोत्सव की नई परिभाषा है, जहां उत्सव की जगह भूख और मौत की दावत परोसी जा रही है।

करोड़ों खर्च भी गौवंश के हालात बदतर

गौठान योजना जिस पर करोड़ों खर्च दिखाए जाते हैं, वहीं गायें भूख से मर रही हैं। शायद अब यह समय है कि सरकार इसका नाम बदलकर गौ-मृत्युठान योजना रख दे, ताकि कागज और जमीन – दोनों पर सच्चाई एक जैसी दिखे।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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