हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
पत्रकारों की ताक़त के आगे झुकी सरकार ने पत्रकारों के विरोध के बाद मेडिकल संस्थानों में मीडिया प्रतिबंध संबंधी आदेश को किया रद्द। स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने लिया यू-टर्न। पढ़िए पूरी खबर Pairi Times 24×7 पर।
गरियाबंद राजधानी रायपुर से बुद्धवार को सामने आई बड़ी प्रशासनिक हलचल में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक विवादित आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। ये आदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के माध्यम से 13 जून को जारी किया गया था, जिसमें शासकीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में मीडिया के प्रवेश और कवरेज पर नियंत्रण के लिए मीडिया प्रबंधन प्रोटोकॉल लागू करने की बात कही गई थी।

पत्रकारों की ताक़त के आगे झुकी सरकार
पत्रकारों की ताक़त के आगे झुकी सरकार , आदेश जारी होते ही प्रदेशभर में शुरू हुआ विरोध
जैसे ही यह आदेश सार्वजनिक हुआ, पत्रकार संगठनों और मीडिया कर्मियों में जबरदस्त आक्रोश फूट पड़ा। सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई, कई जगहों पर विरोध दर्ज किया गया, और पत्रकारों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया। स्थिति बिगड़ते देख, खुद स्वास्थ्य मंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने आदेश को तत्काल निरस्त करने के निर्देश दिए और कहा:
पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, उन पर किसी भी तरह की रोक स्वीकार नहीं की जाएगी।
क्या था विवादित आदेश में?
13 जून को स्वास्थ्य शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश में मेडिकल कॉलेजों और अस्पताल परिसरों में बिना पूर्व अनुमति मीडिया को प्रवेश की मनाही, इंटरव्यू और रिपोर्टिंग पर रोक जैसे कई बिंदु शामिल थे। इसे लेकर राज्यभर में पत्रकारों ने सवाल खड़े किए कि आखिर किस आधार पर मीडिया की अभिव्यक्ति पर ऐसा बंधन लगाया गया?
सरकार बैकफुट पर क्यों आई?
लगातार उठते विरोध, न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स पर बहस और सोशल मीडिया की आलोचना के बाद प्रशासन दबाव में आ गया। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए आदेश पर पुनर्विचार किया और अंततः उसे रद्द करने की घोषणा कर दी।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित किया है कि जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ एकजुट होता है, तो सबसे ऊंचे गलियारों तक उसकी गूंज सुनाई देती है। पत्रकारों की स्वतंत्रता पर किसी भी तरह की रोक न अतीत में चली है, न भविष्य में चलेगी।
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