हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
वादे थे दीवाल बनाने के माफिया ने रास्ता बना लिया गरियाबंद जिले में रेत माफियाओं का दबदबा बढ़ता जा रहा है। प्रशासन के वादे सिर्फ प्रेसनोट तक सीमित रह गए, जबकि माफिया रेत घाटों पर सरकार चला रहे हैं। जानिए कैसे बन गई है बालू की ये बेलगाम सत्ता।
गरियाबंद की महानदी इन दिनों बालू से ज़्यादा नेताओं और माफियाओं की मिलीभगत से भारी लग रही है। रात 12 बजते ही जैसे कोई अलौकिक घंटा बजता है, पितईबंद और चौबेबांधा में चैनमाउंटेन वाले देवता अवतरित हो जाते हैं। चैनमाउंटेन गरजते हैं, हाईवा दौड़ते हैं और महानदी का सीना चीरकर रेत लूटी जाती है… और प्रशासन? वो शायद किसी गहरी नींद में रेत पर कव्वाली सुन रहा होता है।

वादे थे दीवाल बनाने के माफिया ने रास्ता बना लिया
वादे थे दीवाल बनाने के माफिया ने रास्ता बना लिया पत्रकार पूछते हैं सवाल, जवाब में मिलती है मार
जब पत्रकार कैमरा लेकर रेत घाट पहुंचे तो माफिया ने गाली की जगह गाली और डंडे की जगह डंडा ही परोसा। जानलेवा हमले के बाद प्रशासन की नींद खुली तो टॉक्स फोर्स बना दी गई, मगर सवाल यह है कि क्या ये टॉक्स फोर्स है या फिर टॉक्स शो जो सिर्फ प्रेसनोट में ही सक्रिय है?
दीवाल की बात चार दीवाल तक ही रह गई
कहा गया था कि अवैध रास्तों पर कंक्रीट की दीवाल बनाई जाएगी। मगर अफसर लोग शायद कंक्रीट का इरादा लेकर मिट्टी में खोदाई करने निकल पड़े। नतीजा? जहां खोदा गया, वहीं से माफिया और गहराई तक रेत निकाल ले गए।
शील मशीनें और अनशील नीयत
खनिज विभाग चैनमाउंटेन मशीन को शील कर देता है। लेकिन माफिया बड़े दिलवाले हैं, अगले दिन नई मशीन ले आते हैं पुराना गया, नया आया की तर्ज़ पर। अब लगता है, माफियाओं के पास मशीन स्टार्टअप योजना का भी लाइसेंस है।
राजनीतिक कृपा, प्रशासनिक मूकता
जिले में एक भी स्वीकृत रेत खदान नहीं है, फिर भी ट्रकों की कतारें ऐसे चलती हैं जैसे किसी नेता की रैली। जनता पूछ रही है ।कहीं इस रेत के नीचे लोकतंत्र तो नहीं दब रहा , सबसे बड़ा सवाल जिसकी जानकारी मीडिया और स्थानीय गांव वालों को है विभाग और टीम को क्यों नहीं ?
यह भी पढ़ें….बिना इस प्लेट के पकड़े गए तो कटेगा चालान गरियाबंद में नंबर प्लेट को लेकर बड़ा अल्टीमेटम ।